साहित्याचा महोत्सव”पहली मुलाकात” कवयित्री लैलैशा
तुमसे हुई वो पहली मुलाकात
आज भी याद है मुझे
तुम्हारा गुलाबी रंग का पंजाबी सूट पहनना
फिसलते दुपट्टे को बारबार संभालना
ऑंखों ऑंखों में दिल में समाना
मेरा तुम्हें छुपछुपके देखना
तुम्हारी पलके बारबार झुकना
बातों बातों में तुम्हारा खिलखीलाना…..🌹
तुम्हारा बेबाकीसे हसना
बड़ी अदासे चलते जाना
मेरे करीबसे गुजर जाना
तुम्हें जाते हुए मेरा निहारना
एक बार मुड़े हुजूर
दिलका बारबार मिन्नते करना
तुम्हारे ना मुड़ने पर
अगले दिनका इंतजार करना…..🌹
हररोज तुम्हारी राह तकना
राह में पलके बिछाके रखना
तुम्हारा हर किसीसे बात करना
मगर मुझे नजरअंदाज करना
हर वक्त सबकी नजरों में रहना
मेरा तुम्हें हरदम सोचना
दिनभर खयाली पुलाव पकाना
एक दिन मुझे तुम्हारा किताब मांगना
कांपते हाथों से मेरा तुम्हें किताब देना
किताब लौटाने के बहाने फिरसे मिलना
प्यार भरी मुस्कान से तुम्हारा मुझे धन्यवाद कहना
तुम्हारा नजरे झुकाना…..🌹
अगले दिन तुमसे फिरसे मुलाकात होना
मुझे हर पल स्वर्ग की अनुभूती होना
फिर काॅलेजका अंतीम दिन आना
बड़ेही नजाकत से तुम्हारा मुझसे हाथ मिलाना
तुम्हारा शुभकामना देकर निकल जाना
मेरा उदास होकर घर लौटना…..🌹
मेरा रिझल्ट का बेसब्रीसे इंतजार करना
तुम्हारा रिझल्ट के दिन काॅलेज ना आना
फिर कई सालों बाद तुमसे मुलाकात होना
मेरा दिल फिरसे बागबान होना
तुमसे हुई वो पहली मुलाकात का मुझे याद आना…..🌹
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