ताज्या घडामोडी
एम सी आर न्यूज कवयित्री आपल्या भेटीला “तुम”:लैलेशा भुरे
*तुम*
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मेरे दिल की फर्याद हो तुम
एक हसीन सा ख्वा़ब हो तुम
मेरी दुआवों का असर हो तुम
मेरे दिल की आवाज हो तुम
मेरे ख़यालों का अहसास हो तुम
हाथों की लकिरों में समाये हो तुम
मेरे जिंदगी की गझ़ल हो तुम
मेरी सुबह-शाम हो तुम
झरनों की झंकार हो तुम
टिपटिप बारीश की बुंदें हो तुम
आसमान में चमकता चाॅंद हो तुम
मेरे दिल की आस हो तुम
दिल के इतने पास हो तुम
एक सुहानी कशीश हो तुम
मगर निगाहों से दूर हो तुम
दिल में गुंजती सरगम हो तुम
मेरे दिल का अरमान हो तुम
कैसे तुम्हें बतायें कहो ना
मेरे लिये कितने खा़स हो तुम
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लैलेशा भुरे
नागपूर